This post is inspired by another poem by a friend who writes amazing Hindi poetry. This is the first time I am writing anything in Hindi. Hope it is readable :)
चंद पलों के लिए,
ज़िंदगी मिल गई।
सारी उमर अब अकेले
बिताना क्यों?
संग संग चले,
और मंज़िलें मिल गई।
दोराहें पर अब
बिछड जाना क्यों?
खुदा कि रहमत से
दिल मिल गए।
ज़मानेके डरसे अब
हाथ छुडाना क्यों?
चंद पलों के लिए,
ज़िंदगी मिल गई।
सारी उमर अब अकेले
बिताना क्यों?
संग संग चले,
और मंज़िलें मिल गई।
दोराहें पर अब
बिछड जाना क्यों?
खुदा कि रहमत से
दिल मिल गए।
ज़मानेके डरसे अब
हाथ छुडाना क्यों?
-संगीता
2 comments:
1st impression...something different and out of the box...small sweet short effetive 6 liners...really cool..and I am very happy for the Hindi flavor and more importantly you getting back to writing!!!
Cool... Awesome one mann...
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